गाजियाबाद बॉर्डर से वापस लौटे नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा, संभल जाने की नहीं मिली इजाजत, बोले- ये संविधान ख़त्म करने वाला नया भारत

राहुल गांधी के गाज़ियाबाद बॉर्डर पर रोके जाने और संभल जाने की अनुमति न मिलने की घटना ने भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ ले लिया है। यह घटना न केवल कांग्रेस पार्टी के लिए एक राजनीतिक मुद्दा बन गई है, बल्कि विपक्ष के संवैधानिक अधिकारों पर भी सवाल खड़ा करती है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस पूरे प्रकरण को “संविधान खत्म करने की साजिश” करार दिया। आइए, इस पूरी घटना और इसके राजनीतिक निहितार्थ पर विस्तार से चर्चा करते हैं।


गाज़ियाबाद बॉर्डर पर रोके गए राहुल गांधी

राहुल गांधी और उनकी टीम की योजना उत्तर प्रदेश के हिंसा-प्रभावित संभल जिले में जाने की थी, जहां हाल ही में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें गाज़ियाबाद सीमा पर ही रोक दिया। इस दौरान राहुल गांधी ने पुलिस से बातचीत की और कहा, “मैं अकेले जाने को तैयार हूं। आप मुझे अपनी गाड़ी में ले चलिए। मुझे लोगों से मिलने दीजिए।”

लेकिन पुलिस ने उन्हें यह कहकर रोका कि अभी माहौल अनुकूल नहीं है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उन्हें कुछ दिनों बाद आने की सलाह दी। राहुल गांधी ने इसे लोकतंत्र और संविधान पर सीधा हमला बताया।

राहुल गांधी का बयान

पत्रकारों से बातचीत में राहुल गांधी ने कहा,
“नेता प्रतिपक्ष के तौर पर लोगों से मिलना मेरा संवैधानिक अधिकार है। लेकिन मुझे रोका जा रहा है। यह संविधान के खिलाफ है।”
उन्होंने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा,
“यह नया भारत है, जो अम्बेडकर के संविधान को खत्म करने वाला भारत है।”


प्रियंका गांधी ने भी किया तीखा हमला

कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी राहुल गांधी के रोके जाने की घटना को लेकर भाजपा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ राहुल गांधी को रोके जाने का मामला नहीं है, बल्कि यह देश के लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों पर हमला है।

प्रियंका गांधी ने कहा,
“संभल में जो हुआ वह बहुत गलत है। वहां हिंसा से प्रभावित लोगों से मिलने का हर नागरिक को अधिकार है, खासतौर पर विपक्ष के नेता को। लेकिन उन्हें रोककर यह सरकार अपने अहंकार का प्रदर्शन कर रही है।”

प्रियंका ने यह भी सवाल उठाया कि अगर कानून-व्यवस्था इतनी मजबूत है, जैसा कि भाजपा सरकार दावा करती है, तो विपक्ष के नेता को जाने से क्यों रोका गया?


भाजपा पर विपक्ष का वार

कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर सीधा हमला बोला।
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा,
“यह साफ है कि भाजपा सरकार लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश कर रही है। राहुल गांधी जैसे नेता को रोका जाना इस बात का प्रमाण है कि सरकार विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने जानबूझकर यातायात अवरुद्ध किया ताकि राहुल गांधी की यात्रा बाधित हो।


संभल जाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई?

उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए राहुल गांधी का संभल जाना कानून-व्यवस्था के लिए खतरा हो सकता था।
लेकिन कांग्रेस इस तर्क को मानने के लिए तैयार नहीं है।
प्रियंका गांधी ने कहा,
“अगर सरकार यह दावा करती है कि उन्होंने स्थिति को संभाल लिया है, तो राहुल गांधी को क्यों रोका जा रहा है? यह बताता है कि उत्तर प्रदेश सरकार स्थिति को संभालने में असमर्थ है।”


कांग्रेस का आंदोलन

कांग्रेस पार्टी ने इस घटना को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह घटना न केवल राहुल गांधी के अधिकारों का हनन है, बल्कि यह पूरे देश में विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास है।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा,
“राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने हमेशा आम जनता की आवाज उठाई है। लेकिन भाजपा सरकार उन्हें चुप कराना चाहती है। कांग्रेस इस तानाशाही के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगी।”


राहुल गांधी और विपक्ष के अधिकार

यह घटना एक बड़े सवाल को जन्म देती है—क्या विपक्ष के नेता को प्रभावित इलाकों में जाकर लोगों से मिलने का अधिकार नहीं है? संविधान विपक्ष को एक महत्वपूर्ण भूमिका देता है। विपक्ष का काम है सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करना और जनता की आवाज को सामने लाना।

राहुल गांधी ने कहा,
“मैंने कोई अपराध नहीं किया। मेरा केवल एक उद्देश्य था—संभल के लोगों से मिलना और उनकी समस्याओं को समझना। लेकिन मुझे रोका गया। यह मेरे संवैधानिक अधिकारों का हनन है।”


राजनीतिक माहौल पर असर

इस घटना ने भारतीय राजनीति में नए सवाल खड़े कर दिए हैं।

  • क्या भाजपा विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है?
  • क्या उत्तर प्रदेश सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रही है?
  • क्या यह घटना 2024 के आम चुनावों से पहले एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनेगी?

राहुल गांधी का संघर्ष और संदेश

राहुल गांधी ने इस घटना के बाद एक बड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा,
“हम लड़ते रहेंगे। संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए हम हर कदम उठाएंगे।”
उनका यह बयान उनके संघर्ष और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।


निष्कर्ष

राहुल गांधी का गाज़ियाबाद बॉर्डर पर रोका जाना केवल एक घटना नहीं है, बल्कि यह विपक्ष और सरकार के बीच संघर्ष का प्रतीक बन गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस इस मुद्दे को कैसे उठाती है और भाजपा इसका जवाब कैसे देती है।

यह घटना सिर्फ राहुल गांधी का व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र और संविधान की साख का भी सवाल है।

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