नीतीश कुमार: बिहार की राजनीति के चाणक्य का सफर
प्रस्तावना
बिहार की राजनीति में एक ऐसा नाम जो दशकों से सत्ता के केंद्र में बना हुआ है – नीतीश कुमार। आज, 01 मार्च को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना 74वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जीवन संघर्ष, सफलता, रणनीति और राजनीतिक प्रयोगों से भरा हुआ है।
नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर 1977 में शुरू हुआ और तब से लेकर आज तक वे बिहार की राजनीति के सबसे अहम चेहरे बने हुए हैं। वे बिहार के उन नेताओं में से हैं जो न केवल राज्य की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को बिहार के नालंदा जिले के बख्तियारपुर में हुआ था। उनके पिता, कविराज राम लखन सिंह, एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पटना में हुई और उन्होंने बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (अब एनआईटी पटना) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। हालांकि, उनका झुकाव छात्र जीवन से ही राजनीति की ओर था और उन्होंने जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में सक्रिय भाग लिया।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1977 में की, जब वे जनता पार्टी के सदस्य बने। 1985 में, वे पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए और तब से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
1989 में, वे पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और 1990 में जनता दल की सरकार में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री बने। इसके बाद वे कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे, जिनमें केंद्रीय रेल मंत्री और भूतल परिवहन मंत्री भी शामिल हैं।
बिहार की सत्ता में प्रवेश
नीतीश कुमार का बिहार की सत्ता में पहला बड़ा प्रवेश 2000 में हुआ, जब वे पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। हालांकि, बहुमत न होने के कारण उन्हें केवल सात दिन बाद ही इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन 2005 में उन्होंने धमाकेदार वापसी की और भाजपा के साथ गठबंधन करके पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई।
बिहार में विकास कार्यों की शुरुआत
मुख्यमंत्री बनने के बाद, नीतीश कुमार ने बिहार में कानून व्यवस्था को सुधारने और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान दिया। उन्होंने कई योजनाएं शुरू कीं, जिनमें सड़क निर्माण, बिजली सुधार और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव शामिल थे।
1. कानून व्यवस्था में सुधार
नीतीश कुमार के कार्यकाल में बिहार में अपराध दर में कमी आई। उन्होंने तेज़ी से मुकदमों का निपटारा करने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की और पुलिस व्यवस्था को सशक्त बनाया।
2. बुनियादी ढांचे का विकास
नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सड़कों और पुलों का व्यापक विकास हुआ। उन्होंने ‘मुख्यमंत्री सड़क योजना’ के तहत कई परियोजनाओं को लागू किया।
3. शिक्षा सुधार
उन्होंने ‘मुख्यमंत्री साइकिल योजना’ और ‘पोशाक योजना’ जैसी पहल शुरू की, जिससे छात्राओं की स्कूलों में उपस्थिति बढ़ी।
राजनीतिक उतार-चढ़ाव
नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए। वे कई बार भाजपा, राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाते और तोड़ते रहे।
- 2013 में भाजपा से अलगाव – जब नरेंद्र मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया, तब नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़ लिया।
- 2015 में महागठबंधन – उन्होंने लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर बिहार का चुनाव लड़ा और भारी जीत हासिल की।
- 2017 में फिर से भाजपा के साथ – उन्होंने अचानक गठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली।
- 2022 में फिर से महागठबंधन – उन्होंने भाजपा से फिर से नाता तोड़कर राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया।
वर्तमान राजनीतिक स्थिति
नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले फिर से भाजपा के साथ जा चुके हैं। वे राजनीतिक रूप से बेहद चतुर माने जाते हैं और उनकी रणनीति हमेशा चर्चा का विषय बनी रहती है।
निष्कर्ष
नीतीश कुमार एक ऐसे राजनेता हैं जो हार को जीत में बदलने की कला जानते हैं। वे बिहार की राजनीति के चाणक्य कहे जाते हैं और उनकी राजनीतिक यात्रा अभी भी जारी है। उनके 74वें जन्मदिन पर उनके जीवन की यह कहानी प्रेरणादायक है और आने वाले वर्षों में उनके निर्णय बिहार की राजनीति को कैसे प्रभावित करेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।