मौनी अमावस्या स्नान के पहले नव्य प्रकाश व्यवस्था से जगमग हुई कुम्भ नगरी प्रयागराज

महाकुम्भ-2025 का आयोजन प्रयागराज में पूरे जोश और श्रद्धा के साथ हो रहा है। त्रिवेणी संगम के तट पर यह आयोजन भारतीय संस्कृति, परंपरा, और अध्यात्म का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आगमन को ध्यान में रखते हुए प्रयागराज को एक नए और भव्य स्वरूप में सुसज्जित किया गया है।

इस बार कुम्भ नगरी को एक खास पहचान देने के लिए न केवल घाटों और मेला क्षेत्र में, बल्कि पूरे शहर में अद्वितीय सौंदर्यीकरण और प्रकाश व्यवस्था की गई है। विशेष रूप से, मौनी अमावस्या स्नान के पहले प्रयागराज की सड़कों, चौराहों, और वृक्षों को आकर्षक और दिव्य रूप में सजाया गया है।


प्रयागराज के वृक्षों को मिला अद्वितीय सौंदर्य

महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के स्वागत में प्रयागराज नगर निगम ने इस बार एक नई पहल की है। शहर के प्रमुख मार्गों के किनारे स्थित हरे-भरे वृक्षों को अद्वितीय नियॉन और थीमैटिक लाइट्स से सजाया गया है। यह पहल उत्तर प्रदेश में पहली बार लागू की गई है, और इसे महाकुम्भ के भव्य आयोजन के दौरान एक ऐतिहासिक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

नगर निगम प्रयागराज के मुख्य अभियंता (विद्युत) संजय कटियार ने बताया कि इस बार प्रयागराज के 260 वृक्षों को नई रोशनी से सजाया गया है। वृक्षों के तनों, शाखाओं और पत्तियों पर नियॉन और स्पाइरल लाइट्स लगाई गई हैं, जो रात के अंधेरे में इन्हें चमकदार और आकर्षक बनाती हैं। इस प्रकाश व्यवस्था को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह रात के समय प्रकृति और आध्यात्मिकता का एक अद्वितीय समागम प्रस्तुत करती है।


प्रकाश व्यवस्था की विशेषताएं

  1. नियॉन लाइट्स का उपयोग: वृक्षों के तनों और शाखाओं पर नियॉन लाइट्स लगाई गई हैं, जो उन्हें अलग-अलग रंगों में चमकदार बनाती हैं।
  2. स्पाइरल लाइट्स: इन लाइट्स को वृक्षों की शाखाओं के चारों ओर घुमाकर सजाया गया है, जिससे वृक्षों का प्राकृतिक सौंदर्य और भी निखरता है।
  3. थीमैटिक रोशनी: प्रत्येक मार्ग और चौराहे को अलग-अलग थीम पर सजाया गया है। यह थीमैटिक प्रकाश व्यवस्था कुम्भ नगरी की विशिष्टता को और भी आकर्षक बनाती है।
  4. ऊर्जा संरक्षण: इस परियोजना में ऊर्जा बचाने वाली तकनीकों का उपयोग किया गया है। लाइट्स को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वे कम बिजली की खपत के साथ अधिक रोशनी प्रदान करें।
  5. दृश्य सौंदर्य: इस प्रकाश व्यवस्था को देखने पर ऐसा लगता है कि वृक्ष खुद रोशनी के स्रोत बन गए हैं। यह दृश्य पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है।

शहर के चौराहों और सड़कों का सौंदर्यीकरण

महाकुम्भ के आयोजन के लिए प्रयागराज नगर निगम ने सड़कों और चौराहों को भी नई पहचान दी है। शहर के प्रमुख चौराहों को आकर्षक रंग-बिरंगी रोशनी, फूलों के गमले, और पारंपरिक सजावट से सुसज्जित किया गया है।

  1. चौराहों की सजावट:
    • शहर के प्रमुख चौराहों, जैसे सुभाष चौक, सिविल लाइंस, और आनंद भवन चौराहा, को अलग-अलग थीम पर सजाया गया है।
    • पारंपरिक भारतीय कला और शिल्प का उपयोग कर इन चौराहों को अद्वितीय स्वरूप दिया गया है।
  2. सड़कें बनीं भव्य मार्ग:
    • शहर की प्रमुख सड़कों को चमकदार रोशनी और सजावटी झंडों से सजाया गया है।
    • इन सड़कों के किनारे फूलों के गमले और दीयों की श्रृंखला लगाई गई है, जो इन मार्गों को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक वातावरण प्रदान करते हैं।

श्रद्धालुओं के लिए खास स्वागत व्यवस्था

प्रयागराज में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भव्य अनुभव प्रदान करने के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।

  • विशेष स्वागत द्वार: कुम्भ मेला क्षेत्र और शहर के प्रमुख प्रवेश बिंदुओं पर स्वागत द्वार बनाए गए हैं, जो पारंपरिक कला और आध्यात्मिकता को दर्शाते हैं।
  • स्वच्छता अभियान: पूरे शहर और मेला क्षेत्र में स्वच्छता बनाए रखने के लिए विशेष अभियान चलाया गया है।
  • सूचना केंद्र: श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जगह-जगह सूचना केंद्र बनाए गए हैं, जहां वे मेला क्षेत्र की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

गंगा घाटों पर अद्वितीय रोशनी

महाकुम्भ के दौरान गंगा घाटों को भी अद्वितीय रोशनी से सजाया गया है।

  1. आरती स्थल का विशेष सौंदर्यीकरण:
    • त्रिवेणी संगम और अन्य प्रमुख घाटों पर आरती स्थल को खास तौर पर सजाया गया है।
    • यहां पर हर शाम गंगा आरती का आयोजन होता है, जिसमें रोशनी का विशेष महत्व है।
  2. नावों पर प्रकाश व्यवस्था:
    • गंगा में चलने वाली नावों पर रंग-बिरंगी रोशनी लगाई गई है, जो श्रद्धालुओं को एक दिव्य अनुभव प्रदान करती है।

पर्यटकों और श्रद्धालुओं का उत्साह

महाकुम्भ में आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु इस भव्य प्रकाश व्यवस्था से अभिभूत हैं। शहर में हर ओर रोशनी की चकाचौंध और सांस्कृतिक सौंदर्य को देखकर हर किसी के चेहरे पर खुशी झलक रही है।

श्रद्धालुओं का कहना है कि यह कुम्भ न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि आधुनिक तकनीक और परंपरा का एक अद्भुत मेल भी है। इस आयोजन ने प्रयागराज को नई पहचान दी है और इसे भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मानचित्र पर एक नई ऊंचाई पर स्थापित किया है।


महाकुम्भ-2025 का संदेश

महाकुम्भ-2025 का आयोजन न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और आधुनिकता का एक अद्भुत संगम है। प्रयागराज में इस आयोजन को भव्य और दिव्य बनाने के लिए सरकार, नगर निगम, और स्थानीय प्रशासन ने अभूतपूर्व प्रयास किए हैं।

इस आयोजन का मुख्य संदेश यह है कि परंपरा और आध्यात्मिकता को आधुनिक तकनीक और नवाचार के साथ जोड़ा जा सकता है। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक अविस्मरणीय अवसर बन गया है।


निष्कर्ष
महाकुम्भ-2025 का यह आयोजन भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक अद्वितीय उदाहरण है। प्रयागराज की भव्य प्रकाश व्यवस्था, सड़कों और चौराहों का सौंदर्यीकरण, और गंगा घाटों का दिव्य स्वरूप इसे एक ऐतिहासिक आयोजन बनाते हैं। इस महाकुम्भ में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह एक ऐसा अनुभव है, जिसे वे जीवन भर याद रखेंगे।

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