
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा आयोजित परीक्षा 13 दिसंबर, 2024 को विवादों में घिर गई है। छात्रों ने इस परीक्षा को लेकर अपनी नाराजगी जताते हुए इसे रद्द करने की मांग की, लेकिन आयोग ने इस मांग को ठुकरा दिया। छात्रों का गुस्सा बढ़ता गया, और 13 दिसंबर के बाद से प्रदर्शन तेज हो गए। इस गुस्से का परिप्रेक्ष्य, पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज, और सड़क नाकाबंदी के साथ राज्यव्यापी बंद का आह्वान हुआ। राजनीतिक दलों ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया, जिससे आंदोलन की लहर राज्यभर में फैल गई। इस स्थिति ने बिहार की राजनीति को और भी गरम कर दिया है, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार विपक्षी नेताओं के निशाने पर आ गई है।
1. BPSC परीक्षा और छात्रों का गुस्सा
13 दिसंबर को बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा आयोजित परीक्षा में बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया। यह परीक्षा बीपीएससी द्वारा राज्य के सरकारी पदों के लिए आयोजित की जाती है, और इससे लाखों युवाओं की उम्मीदें जुड़ी होती हैं। लेकिन परीक्षा के बाद, छात्रों ने कई गंभीर आरोप लगाए।
छात्रों का कहना था कि परीक्षा के पैटर्न में बदलाव, प्रश्न पत्र की कठिनाई स्तर, और तकनीकी गड़बड़ियों ने उनके लिए परीक्षा को बेहद मुश्किल बना दिया था। कई छात्रों का यह भी आरोप था कि आयोग ने परीक्षा के दौरान की गई तकनीकी खामियों और परीक्षा के सवालों की अस्पष्टता को गंभीरता से नहीं लिया। इसके अलावा, कुछ छात्रों ने यह भी कहा कि परीक्षा में अनियमितताएँ और भ्रष्टाचार की बू आ रही थी। परिणामस्वरूप, छात्रों ने इस परीक्षा को रद्द करने की मांग की।
बिहार राज्य के विभिन्न हिस्सों से छात्रों ने इस मामले में आवाज उठाई और आंदोलन शुरू कर दिया। यह आंदोलन शुरुआत में शांतिपूर्ण था, लेकिन जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया और पानी की बौछार की, तो यह आंदोलन हिंसक हो गया। छात्रों का गुस्सा और भी भड़क गया, और उन्होंने राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया।
2. राज्यव्यापी बंद और सड़क नाकाबंदी
प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया, जिसे विभिन्न छात्र संगठनों और विपक्षी दलों ने समर्थन दिया। बिहार के कई जिलों में छात्रों ने सड़कें जाम कर दीं, और सरकारी दफ्तरों, स्कूलों, कॉलेजों को बंद करवा दिया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने सरकारी नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की और बीपीएससी के खिलाफ अपनी आवाज उठाई।
राज्य के कई हिस्सों में छात्रों ने रेलवे ट्रैक और मुख्य सड़क मार्गों पर नाकाबंदी की, जिससे परिवहन व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित हो गई। बिहार सरकार के खिलाफ आक्रोश और बढ़ गया, और यह आंदोलन एक राष्ट्रीय स्तर पर फैलने की संभावना भी दिखने लगी।
विपक्षी दलों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया, और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया। विपक्षी नेताओं ने यह आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार छात्रों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है।
3. पटना में पुलिस का लाठीचार्ज और पानी की बौछार
रविवार को पटना में जब छात्रों ने प्रदर्शन किया, तो पुलिस ने उन्हें खदेड़ने के लिए हल्का बल प्रयोग किया। पानी की बौछार की गई और कुछ स्थानों पर लाठीचार्ज भी किया गया। यह कदम छात्रों के गुस्से को और बढ़ाने का कारण बना। पुलिस की यह कार्रवाई सरकार के खिलाफ विरोध को और तेज कर सकती थी, क्योंकि छात्रों के इस आक्रोश में विपक्षी दलों ने भी अपनी आवाज मिलाई।
यह भी बताया गया कि पुलिस ने कुछ छात्रों को हिरासत में लिया, जिनमें कुछ प्रमुख छात्र नेताओं का नाम शामिल था। इन घटनाओं ने इस आंदोलन को और भी राष्ट्रीय ध्यान में ला दिया।
4. प्रशांत किशोर का समर्थन और मुख्यमंत्री पर हमला
इस बीच, जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी इस आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य के युवाओं की समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं और दिल्ली में अपनी निजी यात्रा पर चले गए हैं, जबकि राज्य के छात्र आंदोलित हैं।
प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कड़ा हमला करते हुए कहा कि राज्य के युवाओं के लिए मुख्यमंत्री के पास समय नहीं है, जबकि वह दिल्ली में अपने निजी कामों में व्यस्त हैं। किशोर ने यह भी कहा कि बीपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा में छात्रों के साथ जो अन्याय हुआ है, उसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जा सकता।
उनके समर्थन में कई छात्र संगठनों और राजनीतिक नेताओं ने भी आवाज उठाई। यह आंदोलन अब नीतीश कुमार के खिलाफ विपक्षी दलों के एकजुट होने का कारण बन गया है।
5. पप्पू यादव का राज्यपाल से मिलना और बयान
पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने राजभवन में बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर से मुलाकात की और इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की। पप्पू यादव ने राज्यपाल से आग्रह किया कि वह बीपीएससी के अध्यक्ष से सीधा संवाद करें और यह सुनिश्चित करें कि छात्रों के साथ होने वाले अन्याय को रोका जाए।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने इस मुद्दे पर बीपीएससी के अध्यक्ष से बात करने का आश्वासन दिया और यह भी कहा कि वह जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से बात करेंगे, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि छात्रों पर लाठीचार्ज क्यों किया गया और एफआईआर क्यों दर्ज की गई।
इसके अलावा, पप्पू यादव ने यह भी सवाल उठाया कि जब एक परीक्षा के लिए 12 हजार उम्मीदवारों का चयन किया जाता है, तो 4 लाख उम्मीदवारों के लिए परीक्षा क्यों नहीं हो सकती? उन्होंने बिहार में BPSC के मुद्दे पर पूरी जांच की मांग की और सरकार से वार्ता करने की बात की।
6. विपक्षी दलों का हमले और नीतीश कुमार का रुख
इस पूरे मामले के बाद विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार और उनकी सरकार को घेरना शुरू कर दिया। राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एकजुट होकर इस मामले में सरकार को घेरने की कोशिश की।
राजद के प्रमुख तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल किया कि जब मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य की युवा शक्ति इस प्रकार परेशान है, तो सरकार चुप क्यों है? उन्होंने बीपीएससी मामले में सरकार की चुप्पी को “निंदनीय” बताया और कहा कि यह युवा विरोधी नीति का परिणाम है।
कांग्रेस पार्टी ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि मुख्यमंत्री को छात्रों की समस्याओं का समाधान करने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया और नीतीश कुमार से जवाब मांगने की बात कही। भाजपा के नेताओं ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार की सरकार पूरी तरह से असंवेदनशील है और राज्य के युवाओं के साथ अन्याय कर रही है।
7. नतीजा और भविष्य की संभावना
यह आंदोलन अब केवल एक छात्र विरोधी आंदोलन नहीं रह गया है, बल्कि यह एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है। विपक्षी दलों का समर्थन, प्रशांत किशोर का हस्तक्षेप, और पप्पू यादव की पहल ने इसे और भी व्यापक बना दिया है।
इस बीच, बीपीएससी के अध्यक्ष ने मामले पर सफाई दी है और कहा है कि परीक्षा की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि आयोग परीक्षा के परिणामों के बाद छात्रों को न्याय देने के लिए तैयार है।
हालांकि, राज्य सरकार के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह एक अवसर भी हो सकता है कि वह छात्रों की समस्याओं का समाधान करें और अपने प्रशासन की छवि को सुधारें।
यह आंदोलन आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति और छात्रों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है।