हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का बहुत ही खासा महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा आश्विन मास की पूर्णिमा को आती हैं।
शरद पूर्णिमा के बारे में मान्यता है कि सालभर में सिर्फ इसी दिन चांद 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। शरद पूर्णिमा को ‘कौमुदी व्रत’,‘कोजागरी पूर्णिमा’ और ‘रास पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था।
एक मान्यता यह भी है कि शरद पूर्णिमा की रात को चांद की किरणों से अमृत बरसता है। इसी वजह से इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रातभर चांदनी में रखने का रिवाज है।
कब है शरद पुर्णिमा
इस साल 16 अक्टूबर के दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस पूर्णिमा को कोजागरी और राज पूर्णिमा भी कहा जाता है। दरअसल, पूर्णिमा के दिन चांद सोलह कलाओं के परिपूर्ण होता है। कहा जाता है कि इस दिन आकाश से अमृत की वर्षा होती है। दरअसल इस दिन चांद पृथ्वी के सबसे निकट होता है। पूर्णिमा के रात्रि चांद दूधिया रोशनी धरती को नहलाती है। इस सफेद उजाले के बीच पूर्णिमा मनाई जाती है।