
प्रयागराज में अगले महीने आयोजित होने वाले महाकुंभ में साइबर अपराधों से श्रद्धालुओं को सुरक्षित रखने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की गई है। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व का है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर, इस बार महाकुंभ को “डिजिटल महाकुंभ” के रूप में चिन्हित किया गया है, जिसे साइबर सुरक्षित बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता है।

महाकुंभ का महत्व और सुरक्षा चुनौतियां
महाकुंभ में इस बार 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। इतने बड़े पैमाने पर लोगों की उपस्थिति न केवल लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए चुनौतीपूर्ण है, बल्कि डिजिटल माध्यमों पर बढ़ती निर्भरता इसे साइबर अपराधियों के लिए भी एक संभावित लक्ष्य बनाती है।
साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, डिजिटल लेन-देन, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, और अन्य सेवाओं के दौरान डेटा चोरी, फिशिंग, और धोखाधड़ी के मामलों की आशंका को कम करने के लिए यह रणनीति तैयार की गई है।
बहुआयामी रणनीति का निर्माण
उत्तर प्रदेश पुलिस ने महाकुंभ को साइबर अपराध से सुरक्षित बनाने के लिए एक बहुआयामी रणनीति तैयार की है। इसमें स्थानीय पुलिस, साइबर विशेषज्ञ, और तकनीकी संस्थानों के सहयोग से एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार किया गया है।
1. एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र:
- प्रयागराज में एक केंद्रीकृत नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।
- इस कक्ष में साइबर विशेषज्ञ और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी 24/7 निगरानी करेंगे।
- ड्रोन, सीसीटीवी, और अन्य निगरानी उपकरणों का उपयोग किया जाएगा।
2. तकनीकी सहयोग:
- आईआईटी कानपुर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साइबर विशेषज्ञ इस योजना में शामिल हैं।
- प्रोफेसरों और छात्रों की टीम साइबर सुरक्षा उपायों पर इनपुट दे रही है।
3. डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की सुरक्षा:
- ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और ई-टिकटिंग की प्रक्रिया को मजबूत किया गया है।
- एन्क्रिप्शन और मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन जैसे उपाय अपनाए गए हैं।
4. जनजागरूकता अभियान:
- श्रद्धालुओं को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं।
- सोशल मीडिया, पोस्टर्स, और अन्य माध्यमों का उपयोग किया जा रहा है।
5. साइबर पेट्रोलिंग:
- इंटरनेट पर साइबर अपराधियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है।
- संदिग्ध वेबसाइटों और लिंक को ब्लॉक किया जा रहा है।
उच्च-स्तरीय बैठकें और समन्वय
अपर पुलिस महानिदेशक (प्रयागराज जोन) भानु भास्कर की अध्यक्षता में हुई बैठक में साइबर अपराध के खिलाफ कार्ययोजना पर चर्चा हुई। इसमें निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया गया:
- सामाजिक इंजीनियरिंग हमलों से सुरक्षा:
- फिशिंग, स्मिशिंग, और व्हाट्सएप धोखाधड़ी से बचने के उपाय।
- उपयोगकर्ताओं को अवैध ईमेल और मैसेज के प्रति सतर्क करना।
- डेटा गोपनीयता:
- श्रद्धालुओं की व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए विशेष उपाय।
- इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम:
- किसी भी साइबर हमले की स्थिति में तुरंत कार्रवाई के लिए विशेष टीम तैयार।
श्रद्धालुओं के लिए साइबर सुरक्षा के सुझाव
महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को साइबर अपराध से बचाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं:
- सत्यापित स्रोतों से ही लेन-देन करें:
- केवल अधिकृत वेबसाइट्स और एप्स का उपयोग करें।
- अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें:
- संदिग्ध ईमेल, मैसेज या लिंक से बचें।
- पब्लिक वाई-फाई से बचें:
- सार्वजनिक नेटवर्क पर संवेदनशील जानकारी साझा न करें।
- साइबर हेल्पलाइन का उपयोग करें:
- उत्तर प्रदेश पुलिस की साइबर हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें।
- सतर्क रहें:
- संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस को दें।
डिजिटल महाकुंभ के लिए तकनीकी उपाय
1. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग:
- साइबर अपराधियों की गतिविधियों की पहचान के लिए एआई और एमएल का उपयोग।
2. ब्लॉकचेन तकनीक:
- डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित बनाने के लिए ब्लॉकचेन का प्रयोग।
3. साइबर थ्रेट इंटेलिजेंस:
- संभावित खतरों की जानकारी जुटाने और उनका समाधान करने के लिए एक विशेष टीम।
निष्कर्ष
महाकुंभ 2024 को सुरक्षित और सफल बनाने के लिए सरकार ने एक व्यापक साइबर सुरक्षा रणनीति तैयार की है। यह न केवल श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती का भी परिचायक बनेगा। श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि वे साइबर सुरक्षा के नियमों का पालन करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें।